भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्र
अध्याय 2: भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्र
2.1 प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र
परिभाषाएँ और उदाहरण
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प्राथमिक क्षेत्र:
- परिभाषा: इसमें प्राकृतिक संसाधनों का निष्कर्षण और उत्पादन शामिल है।
- उदाहरण: कृषि (चाय, गेहूँ), मछली पकड़ना, खनन (कोयला), वानिकी।
- मुख्य बिंदु: यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था का आधार बनाता है।
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द्वितीयक क्षेत्र:
- परिभाषा: विनिर्माण और निर्माण पर केंद्रित।
- उदाहरण: वस्त्र मिलें, इस्पात संयंत्र, भवन निर्माण।
- मुख्य बिंदु: कच्चे माल को तैयार माल में परिवर्तित करता है।
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तृतीयक क्षेत्र:
- परिभाषा: सेवाएँ प्रदान करता है।
- उदाहरण: बैंकिंग, परिवहन, शिक्षा, आईटी सेवाएँ।
- मुख्य बिंदु: भारत की वर्तमान अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा क्षेत्र।
परीक्षा युक्तियाँ
- आरेख: सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में प्रत्येक क्षेत्र का हिस्सा दर्शाने वाला वृत्त आलेख (उदा., प्राथमिक के लिए 15%, द्वितीयक के लिए 25%, तृतीयक के लिए 60%)।
- संभावित प्रश्न:
- “प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रों को उदाहरण सहित परिभाषित करें।”
- “भारत में तृतीयक क्षेत्र सबसे बड़ा क्यों है?”
2.2 कृषि से उद्योग और सेवाओं की ओर परिवर्तन
ऐतिहासिक संदर्भ
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1950 से पूर्व:
- भारत की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि प्रधान थी (कुल कार्यबल का 70% से अधिक)।
- हरित क्रांति (1960 के दशक): कृषि उत्पादकता बढ़ी लेकिन कार्यबल में कमी नहीं हुई।
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1990 के बाद (उदारीकरण):
- औद्योगीकरण विनिर्माण और अवसंरचना के विकास के साथ शुरू हुआ।
- सेवा क्षेत्र का विस्तार: आईटी, दूरसंचार और वित्त तेजी से बढ़े।
वर्तमान योगदान (एनसीईआरटी के अनुसार)
| क्षेत्र | जीडीपी में योगदान | रोजगार हिस्सेदारी |
|---|---|---|
| प्राथमिक | ~15-18% | ~50% |
| द्वितीयक | ~25% | ~20% |
| तृतीयक | ~57-60% | ~30% |
परीक्षा युक्तियाँ
- आरेख: प्राथमिक क्षेत्र में रोजगार के पतन और तृतीयक क्षेत्र में रोजगार के उदय को दर्शाने वाला रेखा आलेख (1950–2020)।
- संभावित प्रश्न:
- “भारत में कृषि से उद्योग और सेवाओं की ओर परिवर्तन की व्याख्या करें।”
- “भारत में तृतीयक क्षेत्र अब सबसे बड़ा क्यों है?”
2.3 सार्वजनिक और निजी क्षेत्र
परिभाषाएँ और भूमिकाएँ
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सार्वजनिक क्षेत्र:
- परिभाषा: सरकार के स्वामित्व और नियंत्रण में।
- उदाहरण: भारतीय रेलवे, भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल), रक्षा मंत्रालय।
- भूमिका: सामाजिक कल्याण सुनिश्चित करना, आवश्यक सेवाएँ प्रदान करना (जैसे, बिजली, स्वास्थ्य सेवा)।
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निजी क्षेत्र:
- परिभाषा: व्यक्तियों या निजी कंपनियों के स्वामित्व में।
- उदाहरण: रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा समूह, इन्फोसिस।
- भूमिका: नवाचार, दक्षता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।
मुख्य अंतर
| पहलू | सार्वजनिक क्षेत्र | निजी क्षेत्र |
|---|---|---|
| स्वामित्व | सरकार | व्यक्ति/कंपनियाँ |
| फोकस | सामाजिक कल्याण, अवसंरचना | लाभ अर्जन |
| विनियमन | भारी सरकारी निगरानी | बाजार-संचालित |
परीक्षा युक्तियाँ
- संभावित प्रश्न:
- “सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच अंतर स्पष्ट करें।”
- “भारत के विकास के लिए सार्वजनिक क्षेत्र क्यों महत्वपूर्ण है?”
- महत्वपूर्ण बिंदु:
- सार्वजनिक क्षेत्र समान विकास सुनिश्चित करता है, जबकि निजी क्षेत्र प्रतिस्पर्धा को बढ़ाता है।
2.4 क्षेत्रों पर वैश्वीकरण का प्रभाव
मुख्य अवधारणाएँ
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आउटसोर्सिंग:
- परिभाषा: कंपनियाँ कार्य करने के लिए बाहरी फर्मों को काम पर रखती हैं (उदा., भारत में बीपीओ)।
- उदाहरण: टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) द्वारा आईटी सेवाएँ, विप्रो द्वारा ग्राहक सहायता।
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बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ (एमएनसी):
- परिभाषा: वैश्विक स्तर पर कार्य करने वाली बड़ी कंपनियाँ (उदा., माइक्रोसॉफ्ट, गूगल)।
- प्रभाव:
- सकारात्मक: निवेश, प्रौद्योगिकी और रोजगार लाती हैं।
- नकारात्मक: मजदूरी असमानताएँ और स्थानीय व्यवसायों के साथ प्रतिस्पर्धा उत्पन्न हो सकती हैं।
रोजगार और मजदूरी पर प्रभाव
- रोजगार:
- सकारात्मक: आईटी और बीपीओ क्षेत्रों में वृद्धि से लाखों रोजगार सृजित हुए।
- नकारात्मक: पारंपरिक उद्योगों (जैसे, हथकरघा) में गिरावट।
- मजदूरी:
- सकारात्मक: कुशल श्रमिक (जैसे, सॉफ्टवेयर इंजीनियर) उच्च मजदूरी कमाते हैं।
- नकारात्मक: अकुशल श्रमिकों को मजदूरी स्थिरता का सामना करना पड़ता है।
परीक्षा युक्तियाँ
- आरेख: वैश्वीकरण की श्रृंखला दर्शाने वाला प्रवाह आलेख (एमएनसी → आउटसोर्सिंग → रोजगार सृजन)।
- संभावित प्रश्न:
- “वैश्वीकरण ने भारतीय अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित किया है?”
- “भारत पर एमएनसी के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव क्या हैं?”
मुख्य बिंदुओं का सारांश
- क्षेत्र: प्राथमिक (कृषि), द्वितीयक (विनिर्माण), तृतीयक (सेवाएँ)।
- परिवर्तन: वैश्वीकरण और सुधारों के कारण भारत कृषि से सेवाओं की ओर बढ़ा।
- सार्वजनिक बनाम निजी: सार्वजनिक क्षेत्र कल्याण सुनिश्चित करता है; निजी क्षेत्र नवाचार को बढ़ावा देता है।
- वैश्वीकरण: अवसर लाता है लेकिन असमानता जैसी चुनौतियाँ भी।
महत्वपूर्ण सूत्र/आँकड़ा:
- जीडीपी योगदान: तृतीयक क्षेत्र भारत की जीडीपी में ~57-60% योगदान देता है (एनसीईआरटी, 2023)।
- रोजगार हिस्सेदारी: प्राथमिक क्षेत्र भारत के कार्यबल का ~50% रोजगार देता है (एनसीईआरटी, 2023)।