IV औद्योगीकरण का युग
IV. औद्योगीकरण का युग
1. ब्रिटेन में औद्योगीकरण
औद्योगिक क्रांति के कारण और प्रभाव
- प्रमुख कारण:
- कृषि क्रांति: अधिशेष खाद्य उत्पादन ने मजदूरों को कारखानों में काम करने की अनुमति दी।
- जनसंख्या वृद्धि: श्रम आपूर्ति और उपभोक्ता मांग में वृद्धि।
- पूंजी संचय: व्यापार और उपनिवेशवाद से प्राप्त धन ने औद्योगिक उद्यमों को वित्तपोषित किया।
- तकनीकी नवाचार: स्पिनिंग जेनी (1764) और स्टीम इंजन (1769) जैसे आविष्कारों ने उत्पादन में क्रांति ला दी।
- प्रभाव:
- शहरीकरण: मैनचेस्टर और बर्मिंघम जैसे शहरों में ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन।
- श्रम में परिवर्तन: कृषि आधारित कार्य से कारखाना आधारित कार्य में परिवर्तन, जिससे नए सामाजिक वर्ग उत्पन्न हुए।
- आर्थिक विकास: पूंजीवाद और वैश्विक व्यापार नेटवर्क का उदय।
प्रौद्योगिकी की भूमिका
- स्टीम इंजन (जेम्स वॉट):
- कारखानों, खानों और परिवहन (जैसे रेलवे) को शक्ति प्रदान की।
- मुख्य प्रभाव: बड़े पैमाने पर उत्पादन को संभव बनाया और मानव श्रम पर निर्भरता कम की।
- स्पिनिंग जेनी:
- एक कार्यकर्ता को एक साथ कई धागे कातने की अनुमति दी।
- महत्व: कपड़ा उत्पादन को बढ़ावा दिया और यांत्रिकीकरण की नींव रखी।
- पावर लूम:
- बुनाई को स्वचालित किया, जिससे टेक्सटाइल मिलों में दक्षता बढ़ी।
परीक्षा सुझाव: तकनीकी नवाचार और आर्थिक परिवर्तन के बीच अंतर्संबंध पर ध्यान केंद्रित करें।
2. भारत में औद्योगीकरण
ब्रिटिश नीतियां और उद्योगों का विकास
- ब्रिटिश औपनिवेशिक नीतियाँ:
- विऔद्योगीकरण: भारी करों लगाकर और स्थानीय व्यापार पर प्रतिबंध लगाकर ब्रिटिश नीतियों ने भारतीय हस्तशिल्प (जैसे कपड़ा, हस्तशिल्प) को दबा दिया।
- ब्रिटिश माल का आयात: सस्ते ब्रिटिश कपड़ों ने भारतीय बाजार को भर दिया, जिससे पारंपरिक उद्योग नष्ट हो गए।
- उद्योगों का विकास:
- औपनिवेशिक बुनियादी ढांचा: कच्चा माल (जैसे कपास) निर्यात करने और ब्रिटिश माल आयात करने के लिए रेलवे और बंदरगाहों का निर्माण किया गया।
- कृषि में परिवर्तन: ब्रिटिश उद्योगों के लिए नकदी फसलें (जैसे नील, जूट) उगाने को प्रोत्साहित किया गया।
पारंपरिक शिल्प और रोजगार पर प्रभाव
- हस्तशिल्प का पतन:
- बुनकर, कुम्हार और शिल्पकार ब्रिटिश मशीनरी से प्रतिस्पर्धा के कारण अपनी आजीविका खो बैठे।
- उदाहरण: कलकत्ता जूट उद्योग और मुग़लकालीन कपड़ा उत्पादन में गिरावट।
- रोजगार संकट:
- शिल्पकार बेरोजगार हो गए, जिससे गरीबी हुई और शहरों की ओर पलायन हुआ।
परीक्षा सुझाव: ब्रिटिश औद्योगीकरण और औपनिवेशिक शासन के तहत भारत के विऔद्योगीकरण के बीच अंतर को उजागर करें।
3. रेलवे और संचार की भूमिका
नियंत्रण के साधन के रूप में रेलवे
- आर्थिक नियंत्रण:
- रेलवे ने ग्रामीण क्षेत्रों से कच्चा माल (जैसे कपास) औद्योगिक केंद्रों तक पहुँचाया।
- भारत में ब्रिटिश माल के निर्यात को सुगम बनाया।
- राजनीतिक नियंत्रण:
- सैनिकों को तेजी से भेजकर ब्रिटिश ने विद्रोहों (जैसे 1857 का विद्रोह) को दबाने में सक्षम बनाया।
- दूरस्थ क्षेत्रों को औपनिवेशिक प्रशासन से जोड़ा।
टेलीग्राफ और समाचार का प्रसार
- टेलीग्राफ:
- ब्रिटिश और भारतीय शहरों को जोड़ा, जिससे त्वरित संचार संभव हुआ।
- महत्व: राजनीतिक घटनाओं (जैसे अकाल, विद्रोह) और औपनिवेशिक नीतियों के समाचार फैलाने में मदद की।
- समाज पर प्रभाव:
- वैश्विक घटनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ी, जिससे परस्पर संबंध की भावना पैदा हुई।
परीक्षा सुझाव: आर्थिक और राजनीतिक वर्चस्व की ब्रिटिश रणनीति से रेलवे और टेलीग्राफ को जोड़ें।
4. औद्योगिक श्रमिक और उनकी स्थितियाँ
बाल श्रम और शहरीकरण
- बाल श्रम:
- बच्चे खतरनाक परिस्थितियों में लंबे समय तक कारखानों में काम करते थे।
- उदाहरण: सूती मिलों में बच्चों को चोटें और स्वास्थ्य समस्याएँ थीं।
- शहरीकरण:
- शहर भीड़भाड़ वाले हो गए, जिससे खराब स्वच्छता और बीमारियाँ फैलीं।
- उदाहरण: मैनचेस्टर और कलकत्ता की झुग्गियों में कई औद्योगिक श्रमिक रहते थे।
श्रमिक आंदोलन
- यूनियनों का गठन:
- श्रमिकों ने बेहतर मजदूरी और स्थितियों की मांग के लिए हड़तालें कीं (जैसे 1842 की लंदन हड़ताल)।
- प्रमुख परिणाम: बाल श्रम और कार्य घंटों को नियंत्रित करने वाले फैक्टरी एक्ट (1844) का निर्माण हुआ।
- चुनौतियाँ:
- ब्रिटिश अधिकारी अक्सर आर्थिक व्यवधान के डर से हड़तालों को दबा देते थे।
परीक्षा सुझाव: श्रमिकों के सामने आने वाली सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों और श्रम अधिकारों के उदय पर ध्यान दें।
5. कृषि पर औद्योगीकरण का प्रभाव
कुटीर उद्योगों का पतन
- कुटीर उद्योग:
- पारंपरिक हथकरघा बुनाई और हस्तशिल्प ब्रिटिश प्रतिस्पर्धा के कारण गिरावट में आए।
- उदाहरण: ब्रिटिश कपड़ों के सस्ते होने पर बंगाल का बुनाई उद्योग ढह गया।
- कृषि संकट:
- किसानों को खाद्य फसलों के बजाय नकदी फसलें (जैसे नील, अफीम) उगाने के लिए मजबूर किया गया।
- प्रभाव: अकाल (जैसे 1876-78 का भीषण अकाल) और ग्रामीण गरीबी हुई।
परीक्षा सुझाव: औद्योगीकरण और भारतीय कृषि के शोषण के बीच संबंध पर जोर दें।
मुख्य अवधारणाएँ और परिभाषाएँ
- औद्योगिक क्रांति: ब्रिटेन में प्रमुख औद्योगिक वृद्धि का काल (18वीं शताब्दी के अंत से 19वीं शताब्दी की शुरुआत)।
- विऔद्योगीकरण: ब्रिटिश औपनिवेशिक नीतियों के कारण भारत के पारंपरिक उद्योगों में गिरावट।
- कुटीर उद्योग: कपड़ा जैसे माल उत्पादित करने वाले लघु पैमाने के घर-आधारित उद्योग।
- शहरीकरण: काम के लिए ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों का शहरों की ओर पलायन।
बोर्ड परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न
- ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति के कारण क्या थे?
- ब्रिटिश नीतियों ने भारत के कपड़ा उद्योग को कैसे प्रभावित किया?
- ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन में रेलवे की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- ब्रिटेन और भारत में औद्योगिक श्रमिकों की कार्य स्थितियों की व्याख्या कीजिए।
- भारत में कुटीर उद्योगों के पतन में औद्योगीकरण ने कैसे योगदान दिया?
आरेख (विवरणित)
- स्टीम इंजन आरेख: बॉयलर, पिस्टन और फ्लाईव्हील दिखाएं, यह उजागर करें कि यह किस प्रकार ऊष्मा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है।
- रेलवे ट्रैक लेआउट: परिवहन नेटवर्क को समझाने के लिए इंजन, पटरियां और स्टेशन शामिल करें।
- कारखाना लेआउट: औद्योगिक उत्पादन की व्याख्या के लिए मशीनें, श्रमिक और भंडारण क्षेत्र चित्रित करें।
ध्यान दें: सभी सामग्री एनसीईआरटी कक्षा 10 इतिहास (हमारा अतीत – III) और सीबीएसई दिशानिर्देशों के अनुरूप है। परीक्षा उत्तरों में कारण-प्रभाव संबंधों और औपनिवेशिक शोषण पर ध्यान केंद्रित करें।