वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था
**अध्याय 4: वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था **
4.1 वैश्वीकरण क्या है?
परिभाषा:
- वैश्वीकरण देशों के बीच अर्थव्यवस्थाओं, संस्कृतियों और प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करके एक समग्र वैश्विक प्रणाली बनाने की प्रक्रिया है।
मुख्य विशेषताएँ:
- व्यापार: देश वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान करते हैं (उदाहरण: भारत यूएस और यूरोप को कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स और सॉफ्टवेयर सेवाएँ निर्यात करता है)।
- प्रौद्योगिकी: उन्नत प्रौद्योगिकियों का साझाकरण (उदाहरण: वैश्विक सॉफ्टवेयर टूल्स को भारतीय आईटी कंपनियों द्वारा अपनाना)।
- संस्कृति: सांस्कृतिक प्रथाओं का प्रसार (उदाहरण: भारतीय जीवनशैली पर पश्चिमी संगीत, फैशन और फास्ट फूड का प्रभाव)।
एनसीईआरटी से उदाहरण:
- व्यापार: भारत द्वारा हस्तशिल्प और आईटी सेवाओं का निर्यात।
- प्रौद्योगिकी: वैश्विक संचार प्रौद्योगिकियों का उपयोग (उदाहरण: इंटरनेट, मोबाइल नेटवर्क)।
- संस्कृति: भारत में हॉलीवुड फिल्मों और मैकडॉनल्ड्स जैसे वैश्विक ब्रांडों की लोकप्रियता।
परीक्षा युक्ति:
- वैश्वीकरण के प्रकटीकरण पर प्रश्नों के उत्तर देते समय एनसीईआरटी के उदाहरणों पर ध्यान केंद्रित करें (उदाहरण: आईटी सेवाएँ, फास्ट फूड चेन)।
4.2 भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
वैश्वीकरण के लाभ
- विदेशी निवेश:
- बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ (MNCs) भारत के आईटी, फार्मा और विनिर्माण क्षेत्रों में निवेश करती हैं (उदाहरण: भारत में माइक्रोसॉफ्ट कार्यालय स्थापित करना)।
- सूत्र: प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) = विदेशों से पूँजी प्रवाह।
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण:
- भारतीय उद्योगों द्वारा उन्नत प्रौद्योगिकियों को अपनाना (उदाहरण: वैश्विक कोडिंग मानकों का उपयोग)।
- रोजगार के अवसर:
- बीपीओ, आईटी और कॉल सेंटरों का विकास (उदाहरण: बेंगलुरु का “सिलिकॉन वैली”)।
वैश्वीकरण की चुनौतियाँ
- प्रतिस्पर्धा:
- विदेशी उत्पाद (उदाहरण: चीन से सस्ते कपड़े) स्थानीय उद्योगों (जैसे भारतीय हथकरघा) को खतरा पैदा करते हैं।
- सांस्कृतिक क्षरण:
- वैश्विक सांस्कृतिक प्रभाव के कारण पारंपरिक प्रथाओं का ह्रास (उदाहरण: स्वदेशी कला रूपों में गिरावट)।
- असमानता:
- शहरी क्षेत्रों को ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक लाभ (उदाहरण: शहरों और गाँवों के बीच डिजिटल विभाजन)।
परीक्षा युक्ति:
- संभावित प्रश्न: “वैश्वीकरण ने भारतीय अर्थव्यवस्था को सकारात्मक और नकारात्मक रूप से कैसे प्रभावित किया है?”
- लाभ और चुनौतियों दोनों के लिए एनसीईआरटी के उदाहरण (जैसे बीपीओ, एफडीआई) का उपयोग करें।
4.3 बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNCs) और आउटसोर्सिंग की भूमिका
बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ (MNCs)
- परिभाषा: विभिन्न देशों में कार्यरत कंपनियाँ (उदाहरण: कोका-कोला, माइक्रोसॉफ्ट)।
- भारत में प्रभाव:
- बुनियादी ढाँचे में निवेश (उदाहरण: गुजरात में फैक्ट्रियाँ स्थापित करना)।
- रोजगार सृजन और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (उदाहरण: भारतीय इंजीनियरों को प्रशिक्षण)।
आउटसोर्सिंग
- परिभाषा: कार्य को विदेशी देशों को ठेके पर देना (उदाहरण: अमेरिकी कंपनियों द्वारा भारत में सॉफ्टवेयर विकास को आउटसोर्स करना)।
- भारत के लिए लाभ:
- रोजगार सृजन (उदाहरण: आईटी क्षेत्र में 20 लाख नौकरियाँ)।
- कौशल विकास (उदाहरण: वैश्विक सॉफ्टवेयर टूल्स में प्रशिक्षण)।
- भारत के लिए चुनौतियाँ:
- कम मजदूरी और खराब कार्य स्थितियाँ (उदाहरण: टियर-2 शहरों में कॉल सेंटर)।
- विदेशी बाजारों पर अत्यधिक निर्भरता (उदाहरण: वैश्विक आर्थिक मंदी के प्रति संवेदनशीलता)।
परीक्षा युक्ति:
- मुख्य उदाहरण: आउटसोर्सिंग के केस स्टडी के लिए आईटी क्षेत्र का उपयोग करें।
- संभावित प्रश्न: “भारत के लिए आउटसोर्सिंग के फायदे और नुकसान क्या हैं?”
4.4 वैश्वीकरण का संतुलन
नीतियों की आवश्यकता
- स्थानीय उद्योगों की सुरक्षा:
- विदेशी माल पर आयात शुल्क लगाना (उदाहरण: चीनी कपड़ों पर टैरिफ)।
- घरेलू उद्योगों को समर्थन (उदाहरण: हथकरघा बुनकरों को सब्सिडी)।
- श्रमिकों की सुरक्षा:
- न्यूनतम मजदूरी और श्रम कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित करना।
- वैश्विक प्रतिस्पर्धा के अनुकूलन के लिए श्रमिकों को प्रशिक्षण कार्यक्रम।
एनसीईआरटी उदाहरण:
- भारत सरकार की “मेक इन इंडिया” पहल घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने हेतु।
- सूत्र: संतुलन = (विदेशी निवेश + प्रौद्योगिकी) - (स्थानीय असमानता + सांस्कृतिक हानि)।
परीक्षा युक्ति:
- महत्वपूर्ण बिंदु: स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान से बचाने के लिए वैश्वीकरण को सावधानीपूर्वक प्रबंधित किया जाना चाहिए।
- संभावित प्रश्न: “वैश्वीकरण को संतुलित करने और स्थानीय उद्योगों की रक्षा के लिए सरकार क्या उपाय कर सकती है?”
मुख्य शब्दावली का सारांश:
- वैश्वीकरण: अर्थव्यवस्थाओं, संस्कृतियों और प्रौद्योगिकियों का एकीकरण।
- एमएनसी: बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ (जैसे माइक्रोसॉफ्ट, कोका-कोला)।
- आउटसोर्सिंग: विदेशों को कार्य ठेके पर देना (जैसे आईटी सेवाएँ)।
- FDI: प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (विदेशों से पूँजी प्रवाह)।
महत्वपूर्ण आरेख (घटकों का वर्णन):
- वैश्वीकरण प्रवाह चार्ट:
- देश → व्यापार → वस्तु/सेवाएँ → प्रौद्योगिकी हस्तांतरण → सांस्कृतिक आदान-प्रदान।
- भारत पर वैश्वीकरण का प्रभाव:
- सकारात्मक: एफडीआई, आईटी विकास, रोजगार।
- नकारात्मक: असमानता, सांस्कृतिक क्षरण, प्रतिस्पर्धा।
अंतिम परीक्षा युक्ति:
- सदैव एनसीईआरटी से उदाहरणों (जैसे आईटी क्षेत्र, बीपीओ) को सैद्धांतिक अवधारणाओं से जोड़ें।
- वैश्वीकरण के प्रभाव और एमएनसी की भूमिका पर प्रश्नों का अभ्यास करें।