धातु और अधातु
अध्याय 3: धातु एवं अधातु
1. भौतिक एवं रासायनिक गुण
धातु
-
भौतिक गुण:
- चमकदार: धातुओं में चमक होती है (उदा. सोना, चांदी)।
- आघातवर्ध्य: पीटकर पतली चादरों में ढाले जा सकते हैं (उदा. सोना, एलुमिनियम)।
- तन्य: तारों के रूप में खींचे जा सकते हैं (उदा. तांबा, चांदी)।
- चालक: ऊष्मा एवं विद्युत के सुचालक (उदा. तांबा, एलुमिनियम)।
- कमरे के तापमान पर ठोस: पारा को छोड़कर, जो तरल है।
-
रासायनिक गुण:
- अभिक्रियाशीलता: विविध (उदा. सोडियम पानी के साथ हिंसक अभिक्रिया करता है, सोना निष्क्रिय है)।
- ऑक्सीकरण: धातुएं इलेक्ट्रॉन त्यागकर धनायन बनाती हैं (उदा. Na → Na⁺ + e⁻)।
अधातु
-
भौतिक गुण:
- भंगुर: आघात करने पर टुकड़ों में टूट जाते हैं (उदा. सल्फर, फॉस्फोरस)।
- अचमकीय: धात्विक चमक नहीं होती (उदा. सल्फर, कार्बन)।
- कुचालक: ऊष्मा एवं विद्युत के कुचालक (उदा. सल्फर, कार्बन)।
- विविध अवस्थाएं: ठोस (कार्बन), तरल (ब्रोमीन) या गैस (ऑक्सीजन) हो सकते हैं।
-
रासायनिक गुण:
- अभिक्रियाशीलता: विविध (उदा. क्लोरीन धातुओं के साथ अभिक्रिया करती है, कार्बन सहसंयोजक बंध बनाता है)।
- ऑक्सीकरण: अधातुएं इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर ऋणायन बनाती हैं (उदा. Cl₂ + 2e⁻ → 2Cl⁻)।
परीक्षा सुझाव
- मुख्य अंतर: धातुओं एवं अधातुओं के भौतिक एवं रासायनिक गुणों की तुलना हेतु सारणी का प्रयोग करें।
- उदाहरण: प्रत्येक गुण के उदाहरण याद रखें (उदा. तरल धातु पारा, भंगुर अधातु सल्फर)।
2. अभिक्रियाशीलता शृंखला
परिभाषा
अभिक्रियाशीलता शृंखला धातुओं को उनकी यौगिकों से अन्य धातुओं को विस्थापित करने की क्षमता के आधार पर श्रेणीबद्ध करती है।
अभिक्रियाशीलता क्रम (उच्चतम से निम्नतम)
K, Na, Ca, Mg, Al, Zn, Fe, Pb, H, Cu, Ag, Au
विस्थापन अभिक्रियाएँ
- उदाहरण: आयरन (Fe) कॉपर सल्फेट (CuSO₄) से कॉपर (Cu) को विस्थापित करता है:
Fe + CuSO₄ → FeSO₄ + Cu - शर्तें: अभिक्रिया में धातु यौगिक में उपस्थित धातु से अधिक अभिक्रियाशील होनी चाहिए।
अभिक्रियाशीलता एवं अम्ल अभिक्रियाएँ
- शृंखला में हाइड्रोजन से ऊपर स्थित धातुएं तनु अम्लों से हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करती हैं (उदा. Zn + H₂SO₄ → ZnSO₄ + H₂↑)।
- शृंखला में हाइड्रोजन से नीचे स्थित धातुएं (उदा. तांबा, चांदी) तनु अम्लों से अभिक्रिया नहीं करती हैं।
परीक्षा सुझाव
- क्रम याद रखें: धातुओं के क्रम एवं उनकी स्थिति पर ध्यान दें।
- परिणाम भविष्यवाणी: विस्थापन अभिक्रियाओं एवं अम्ल-धातु अंतःक्रियाओं की भविष्यवाणी हेतु शृंखला का प्रयोग करें।
3. धातुओं का निष्कर्षण
निष्कर्षण की अवस्थाएँ
- सांद्रण:
- विधियाँ:
- हस्तचयन: बड़ी अशुद्धियों हेतु।
- चुंबकीय पृथक्करण: चुंबकीय अयस्कों हेतु (उदा. लौह अयस्क)।
- फ्लोटेशन: सल्फाइड अयस्कों हेतु (उदा. कॉपर)।
- गुरुत्वीय पृथक्करण: सघन अयस्कों हेतु (उदा. सोना)।
- विधियाँ:
- अपचयन:
- कार्बन अपचयन: जिंक एवं लोहे जैसी धातुओं हेतु प्रयुक्त।
उदाहरण: C + 2ZnO → 2Zn + CO₂. - विद्युत अपघटनी अपचयन: ऐलुमिनियम जैसी अत्यधिक अभिक्रियाशील धातुओं हेतु प्रयुक्त।
उदाहरण: Al₂O₃ → 2Al + 3O₂ (क्रायोलाइट स्नान में गलित ऐलुमिना)।
- कार्बन अपचयन: जिंक एवं लोहे जैसी धातुओं हेतु प्रयुक्त।
- परिष्करण:
- विद्युत अपघटनी परिष्करण: तांबे हेतु।
- एनोड: अशुद्ध तांबा।
- कैथोड: शुद्ध तांबा।
- विद्युत अपघट्य: कॉपर सल्फेट विलयन।
- अभिक्रिया: Cu²⁺ + 2e⁻ → Cu (कैथोड पर)।
- विद्युत अपघटनी परिष्करण: तांबे हेतु।
परीक्षा सुझाव
- मुख्य प्रक्रियाएँ: प्रत्येक चरण की भूमिका समझें (उदा. ऐलुमिनियम हेतु विद्युत अपघटन क्यों प्रयुक्त होता है)।
- उदाहरण: अपचयन एवं परिष्करण अभिक्रियाओं के समीकरण लिखने का अभ्यास करें।
4. संक्षारण एवं निवारण
संक्षारण
- परिभाषा: नमी एवं वायु के साथ प्रतिक्रिया के कारण धातु का क्षरण।
- लोहे में जंग लगना:
- अभिक्रिया: 4Fe + 3O₂ + 2H₂O → 2Fe₂O₃·H₂O (आयरन ऑक्साइड हाइड्रेट)।
- शर्तें: जल एवं ऑक्सीजन की उपस्थिति।
संक्षारण निवारण
- पेंटिंग/लेपन: नमी से बचाव हेतु सुरक्षात्मक परत (उदा. लोहे पर पेंट)।
- विद्युत लेपन: सुरक्षात्मक परत चढ़ाना (उदा. लोहे पर जिंक लेपन - गैल्वनाइजेशन)।
- मिश्रधातु बनाना: प्रतिरोध बढ़ाने हेतु धातुओं को मिलाना (उदा. स्टेनलेस स्टील में क्रोमियम एवं निकल)।
- तेल/ग्रीस लगाना: वायु एवं नमी के संपर्क से बचाव।
परीक्षा सुझाव
- रासायनिक समीकरण: जंग लगने की अभिक्रिया एवं उसकी शर्तें याद रखें।
- वास्तविक उदाहरण: निवारण विधियों को दैनिक जीवन से जोड़ें (उदा. पुलों में गैल्वनाइजेशन)।
टिप्पणी: सभी अवधारणाएं एनसीईआरटी कक्षा 10 पाठ्यक्रम के अनुरूप हैं। परीक्षा सफलता हेतु परिभाषाएँ, अभिक्रियाएँ एवं व्यावहारिक उदाहरणों पर ध्यान दें।