जीवन प्रक्रियाएँ
अध्याय 5: जीवन प्रक्रियाएँ
कक्षा 10 सीबीएसई नोट्स
1. पादपों में पोषण
1.1 प्रकाश-संश्लेषण
परिभाषा: वह प्रक्रिया जिसमें हरे पौधे सूर्य के प्रकाश, कार्बन डाइऑक्साइड और जल का उपयोग करके भोजन (ग्लूकोज) संश्लेषित करते हैं।
समीकरण:
6CO₂ + 6H₂O → C₆H₁₂O₆ + 6O₂ (प्रकाश और क्लोरोफिल की उपस्थिति में)।
मुख्य बिंदु:
- क्लोरोफिल: क्लोरोप्लास्ट में पाया जाने वाला हरा वर्णक जो प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित करता है।
- स्ट्रोमा: क्लोरोप्लास्ट का द्रव मैट्रिक्स जहाँ केल्विन चक्र (प्रकाशFrontend स्वतंत्र प्रतिक्रियाएँ) होती हैं।
- थाइलाकॉइड: क्लोरोप्लास्ट में स्थित झिल्ली संरचनाएँ जहाँ प्रकाशFrontend निर्भर प्रतिक्रियाएँ होती हैं।
आरेख: - पत्ती की संरचना: मीसोफिल कोशिकाओं (प्रकाश-संश्लेषण का स्थल), रंध्र (गैस विनिमय) और संवहन बंडलों की व्यवस्था का वर्णन करें।
उदाहरण: - सी3 और सी4 पौधे (CO₂ स्थिरीकरण की विभिन्न क्रियाविधियाँ)।
परीक्षा युक्तियाँ: - क्लोरोफिल की भूमिका और सूर्य के प्रकाश के महत्व पर ध्यान दें।
- अभ्यास प्रश्न: “प्रकाश-संश्लेषण का उपोत्पाद क्या है?” (ऑक्सीजन)।
1.2 जल और खनिजों का परिवहन
क्रियाविधियाँ:
- जाइलम: जड़ों से पत्तियों तक जल और खनिजों का परिवहन (मूल दाब और वाष्पोत्सर्जन खिंचाव के माध्यम से)।
- फ्लोएम: संश्लेषित भोजन (सुक्रोज) को पत्तियों से पौधे के अन्य भागों तक ले जाता है।
मुख्य बिंदु: - वाष्पोत्सर्जन: रंध्रों के माध्यम से जलवाष्प का ह्रास; जल अवशोषण के लिए खिंचाव उत्पन्न करता है।
- मूल दाब: जड़ कोशिकाओं से जाइलम में जल को धकेलता है।
आरेख: - जाइलम और फ्लोएम ऊतक: उनकी संरचना और कार्यों को उजागर करें।
परीक्षा युक्तियाँ: - जाइलम और फ्लोएम के बीच अंतर करें।
- जल संचलन में वाष्पोत्सर्जन की भूमिका को समझें।
2. जन्तुओं में पोषण
2.1 पाचन
चरण:
- भोजन ग्रहण: भोजन का सेवन (जैसे, मनुष्य भोजन को चबाते हैं)।
- पाचन: भोजन को अवशोषण योग्य पोषक तत्वों में तोड़ना।
- यांत्रिक पाचन: भौतिक विखंडन (चबाना, आमाशय में मंथन)।
- रासायनिक पाचन: एंजाइमी विखंडन (जैसे, कार्बोहाइड्रेट के लिए एमाइलेज)।
- अवशोषण: पोषक तत्व छोटी आंत के माध्यम से रक्तप्रवाह में प्रवेश करते हैं।
- समावेशन: कोशिकाएँ पोषक तत्वों का उपयोग करती हैं।
- उत्सर्जन: अपचित अपशिष्ट का निष्कासन (जैसे, मल)।
संबंधित एंजाइम:
- एमाइलेज (लार), प्रोटीएज (आमाशय), लाइपेज (अग्नाशय)।
आरेख: - मानव पाचन तंत्र: मुख, आमाशय, छोटी आंत, यकृत, अग्नाशय को लेबल करें।
परीक्षा युक्तियाँ: - एंजाइमों की भूमिका और संबंधित अंगों पर ध्यान दें।
- अभ्यास प्रश्न: “पाचन में यकृत की क्या भूमिका है?” (पित्त का उत्पादन)।
2.2 मनुष्य में पाचन तंत्र
मुख्य अंग:
- मुख: यांत्रिक पाचन के लिए दाँत, स्टार्च विखंडन के लिए लार।
- आमाशय: प्रोटीन पाचन के लिए पेप्सिन, विपाटन के लिए HCl।
- छोटी आंत: पूर्ण पाचन का स्थल; अवशोषण के लिए अंगुलीनुमा उभार (विलाई)।
- बड़ी आंत: जल का अवशोषण, मल का निर्माण।
परीक्षा युक्तियाँ: - पाचन के क्रम और प्रत्येक अंग की भूमिका याद रखें।
- शाकाहारी और मांसाहारी जीवों की तुलना करें (जैसे, गायों में रुमेन)।
3. श्वसन
3.1 वायवीय श्वसन
समीकरण:
C₆H₁₂O₆ + 6O₂ → 6CO₂ + 6H₂O + ऊर्जा (ATP).
प्रक्रिया:
- माइटोकॉन्ड्रिया में होता है।
- ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है; 36-38 ATP अणु उत्पन्न करता है।
मुख्य बिंदु: - ग्लाइकोलिसिस: ग्लूकोज को पाइरुवेट में तोड़ता है (कोशिका द्रव्य)।
- क्रेब्स चक्र: NADH और FADH₂ उत्पन्न करता है (माइटोकॉन्ड्रिया)।
- इलेक्ट्रॉन परिवहन श्रृंखला: अधिकांश ATP उत्पन्न करती है (माइटोकॉन्ड्रिया)।
3.2 अवायवीय श्वसन
प्रकार:
- यीस्ट में: C₆H₁₂O₆ → 2C₂H₅OH + 2CO₂ (शराब किण्वन)।
- मांसपेशी कोशिकाओं में: C₆H₁₂O₆ → 2लैक्टिक अम्ल (लैक्टिक अम्ल किण्वन)।
मुख्य बिंदु: - ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है; 2 ATP अणु उत्पन्न करता है।
- मांसपेशियों में ऐंठन का कारण (लैक्टिक अम्ल का संचय)।
परीक्षा युक्तियाँ: - वायवीय और अवायवीय श्वसन में अंतर करें।
- अभ्यास प्रश्न: “वायवीय श्वसन कहाँ होता है?” (माइटोकॉन्ड्रिया)।
4. उत्सर्जन
4.1 वृक्क और मूत्र निर्माण
कार्य:
- रक्त को छानकर अतिरिक्त जल, आयनों और अपशिष्ट (यूरिया, यूरिक अम्ल, क्रिएटिनिन) को हटाना।
- रक्तचाप और pH को नियंत्रित करना।
प्रक्रिया:
- निस्पंदन: रक्त ग्लोमेरुलस में प्रवेश करता है; जल और छोटे घुलित पदार्थ बोमन सम्पुट में जाते हैं।
- पुनःअवशोषण: उपयोगी पदार्थ (ग्लूकोज, आयन) रक्त में पुनः अवशोषित होते हैं।
- स्राव: अतिरिक्त अपशिष्ट मूत्र में जोड़ा जाता है।
आरेख:
- नेफ्रॉन: ग्लोमेरुलस, बोमन सम्पुट, समीपस्थ कुण्डलित नलिका, हेनले का लूप, दूरस्थ कुण्डलित नलिका, संग्रह नलिका को लेबल करें।
परीक्षा युक्तियाँ: - नेफ्रॉन की भूमिका और मूत्र निर्माण के चरणों पर ध्यान दें।
- अभ्यास प्रश्न: “हेनले के लूप का क्या कार्य है?” (जल संतुलन बनाए रखना)।
4.2 मनुष्य में उत्सर्जन तंत्र
मुख्य अंग:
- वृक्क: मुख्य उत्सर्जी अंग।
- मूत्रवाहिनी: मूत्र को मूत्राशय तक ले जाती हैं।
- मूत्राशय: मूत्र को संग्रहीत करता है।
- मूत्रमार्ग: मूत्र को बाहर निकालता है।
अन्य उत्सर्जी अंग: - त्वचा (स्वेद ग्रंथियाँ), फेफड़े (CO₂), यकृत (पित्त)।
परीक्षा युक्तियाँ: - मूत्र निर्माण का मार्ग याद रखें।
- उत्सर्जन और जल-लवण संतुलन में अंतर करें।
5. परिवहन
5.1 रक्त संचरण
रक्त के घटक:
- लाल रक्त कोशिकाएँ (RBCs): ऑक्सीजन ले जाती हैं (हीमोग्लोबिन)।
- श्वेत रक्त कोशिकाएँ (WBCs): संक्रमण से लड़ती हैं।
- प्लेटलेट्स: रक्त का थक्का बनाना।
- प्लाज्मा: द्रव माध्यम (90% जल)।
परिसंचरण तंत्र: - खुला तंत्र: कीटों में (हीमोलिम्फ)।
- बंद तंत्र: मनुष्यों में (हृदय रक्त को वाहिकाओं के माध्यम से पंप करता है)।
5.2 हृदय की संरचना एवं कार्य
संरचना:
- चार कक्ष: दो अलिंद, दो निलय।
- वाल्व: रक्त के प्रतिप्रवाह को रोकते हैं (माइट्रल, ट्राइकस्पिड, महाधमनी, फुफ्फुसीय)।
संचरण मार्ग: - व्यवस्थित परिसंचरण: बायाँ निलय → धमनियाँ → केशिकाएँ → शिराएँ → दायाँ अलिंद।
- फुफ्फुसीय परिसंचरण: दायाँ निलय → फेफड़े → बायाँ अलिंद।
परीक्षा युक्तियाँ: - हृदय का आरेख लेबल करें (अलिंद, निलय, वाल्व)।
- अभ्यास प्रश्न: “हृदय का कार्य क्या है?” (रक्त पंप करना)।
5.3 रक्त वाहिकाएँ
प्रकार:
- धमनियाँ: मोटी दीवारें, ऑक्सीजन युक्त रक्त ले जाती हैं (फुफ्फुसीय धमनी को छोड़कर)।
- शिराएँ: पतली दीवारें, अशुद्ध रक्त ले जाती हैं (फुफ्फुसीय शिरा को छोड़कर)।
- केशिकाएँ: पतली दीवारें, आदान-प्रदान का स्थल।
परीक्षा युक्तियाँ: - धमनियों, शिराओं और केशिकाओं में अंतर करें।
- पोषक तत्वों और ऑक्सीजन के परिवहन में रक्त की भूमिका समझें।
महत्वपूर्ण बिंदु पुनर्कथन:
- प्रकाश-संश्लेषण और श्वसन पूरक प्रक्रियाएँ हैं।
- उत्सर्जन अपशिष्ट हटाकर समस्थापन बनाए रखता है।
- परिवहन पोषक तत्वों और ऑक्सीजन का वितरण सुनिश्चित करता है।
- आरेख संरचना और कार्य को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- अभ्यास प्रश्न: वायवीय और अवायवीय श्वसन में अंतर करें, वृक्क की भूमिका समझाएँ, मानव पाचन तंत्र का वर्णन करें।
नोट: सभी सामग्री सख्ती से एनसीईआरटी कक्षा 10 जीव विज्ञान पाठ्यपुस्तक के दिशानिर्देशों का पालन करती है।