ऊष्मा एवं ऊष्मागतिकी
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अध्ययन नोट्स: ऊष्मा एवं ऊष्मागतिकी
अनुक्रमणिका
- ऊष्मा एवं ऊष्मागतिकी का परिचय
- तापीय विस्तार
- ऊष्मा स्थानांतरण
- पदार्थों के तापीय गुण
- ऊष्मागतिकी
- सारांश
1. ऊष्मा एवं ऊष्मागतिकी का परिचय
1.1 ऊष्मा क्या है?
- ऊष्मा ऊर्जा का एक रूप है जो उच्च तापमान वाले क्षेत्र से निम्न तापमान वाले क्षेत्र की ओर प्रवाहित होती है।
- यह कोई पदार्थ नहीं बल्कि ऊर्जा स्थानांतरण का एक रूप है।
- ऊष्मा को जूल (J) में मापा जाता है।
परिभाषा: ऊष्मा तापमान अंतर के कारण तापीय ऊर्जा का स्थानांतरण है।
1.2 ऊष्मागतिकी अवलोकन
- ऊष्मागतिकी ऊर्जा और उसके रूपांतरणों का अध्ययन है।
- इसमें ऊष्मा, कार्य और ऊर्जा स्थानांतरण का अध्ययन शामिल है।
- ऊष्मागतिकी के चार नियम ऊर्जा और ऊष्मा के व्यवहार को नियंत्रित करते हैं।
2. तापीय विस्तार
2.1 रैखिक विस्तार
- जब किसी ठोस को गर्म किया जाता है, तो उसकी लंबाई बढ़ जाती है।
- लंबाई में परिवर्तन (ΔL) मूल लंबाई (L), तापमान परिवर्तन (ΔT) और रैखिक विस्तार गुणांक (α) के समानुपाती होता है।
$$ \Delta L = L \cdot \alpha \cdot \Delta T $$
उदाहरण: 0°C पर 1 m लंबी एक धातु की छड़ को 100°C तक गर्म किया जाता है। यदि रैखिक विस्तार गुणांक $12 \times 10^{-6} , ^\circ C^{-1}$ है, तो नई लंबाई है:
$$ \Delta L = 1 \cdot 12 \times 10^{-6} \cdot 100 = 1.2 \times 10^{-3} , \text{m} $$
2.2 क्षेत्रफल और आयतन विस्तार
- क्षेत्रफल विस्तार इस प्रकार दिया जाता है:
$$ \Delta A = A \cdot \beta \cdot \Delta T $$
- आयतन विस्तार इस प्रकार दिया जाता है:
$$ \Delta V = V \cdot \gamma \cdot \Delta T $$
- जहाँ:
- $ \beta = 2\alpha $
- $ \gamma = 3\alpha $
2.3 तापीय प्रतिबल
- जब किसी पदार्थ को सीमित कर गर्म किया जाता है, तो तापीय प्रतिबल उत्पन्न होता है।
- यदि प्रतिबल पदार्थ की शक्ति से अधिक हो जाता है, तो वह विकृति या फ्रैक्चर का कारण बन सकता है।
3. ऊष्मा स्थानांतरण
3.1 ऊष्मा स्थानांतरण के प्रकार
| विधि | विवरण | उदाहरण |
|---|---|---|
| चालन (Conduction) | पदार्थ की गति के बिना उसके माध्यम से ऊष्मा का स्थानांतरण | धातु की छड़ के माध्यम से ऊष्मा स्थानांतरण |
| संवहन (Convection) | द्रव कणों की गति द्वारा ऊष्मा का स्थानांतरण | कमरे में गर्म हवा का ऊपर उठना |
| विकिरण (Radiation) | विद्युत चुम्बकीय तरंगों द्वारा ऊष्मा का स्थानांतरण | सूर्य से पृथ्वी तक पहुँचने वाली ऊष्मा |
3.2 चालन
- ऊष्मा उच्च तापमान वाले क्षेत्र से निम्न तापमान वाले क्षेत्र की ओर प्रवाहित होती है।
- ऊष्मा स्थानांतरण की दर फूरियर के नियम द्वारा दी जाती है:
$$ Q = -k \cdot A \cdot \frac{\Delta T}{d} $$
- जहाँ:
- $ Q $ ऊष्मा स्थानांतरण की दर है (W)
- $ k $ तापीय चालकता है (W/m·K)
- $ A $ अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल है (m²)
- $ \Delta T $ तापमान अंतर है (K)
- $ d $ मोटाई है (m)
नोट: ऋणात्मक चिह्न इंगित करता है कि ऊष्मा उच्च से निम्न तापमान की ओर प्रवाहित होती है।
3.3 संवहन
- संवहन में तापमान अंतर के कारण द्रव (तरल या गैस) की गति शामिल होती है।
- प्राकृतिक संवहन उत्प्लावन बलों के कारण होता है।
- प्रणोदित संवहन बाह्य बलों (जैसे पंखे) की सहायता से होता है।
3.4 विकिरण
- सभी वस्तुएँ तापीय विकिरण उत्सर्जित और अवशोषित करती हैं।
- किसी वस्तु द्वारा विकिरित शक्ति स्टीफन-बोल्ट्जमान नियम द्वारा दी जाती है:
$$ P = \epsilon \cdot \sigma \cdot A \cdot T^4 $$
- जहाँ:
- $ P $ विकिरित शक्ति है (W)
- $ \epsilon $ उत्सर्जकता है (0 ≤ ε ≤ 1)
- $ \sigma $ स्टीफन-बोल्ट्जमान नियतांक है ($5.67 \times 10^{-8} , \text{W/m}^2\text{K}^4$)
- $ A $ पृष्ठीय क्षेत्रफल है (m²)
- $ T $ परम तापमान है (K)
4. पदार्थों के तापीय गुण
4.1 विशिष्ट ऊष्मा धारिता
- किसी पदार्थ के 1 kg का तापमान 1 K बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा।
$$ Q = m \cdot c \cdot \Delta T $$
- जहाँ:
- $ Q $ जोड़ी गई ऊष्मा है (J)
- $ m $ द्रव्यमान है (kg)
- $ c $ विशिष्ट ऊष्मा धारिता है (J/kg·K)
- $ \Delta T $ तापमान परिवर्तन है (K)
उदाहरण: 2 kg पानी का तापमान 10°C बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा है:
$$ Q = 2 \cdot 4186 \cdot 10 = 83720 , \text{J} $$
4.2 गुप्त ऊष्मा
-
गुप्त ऊष्मा किसी पदार्थ के अवस्था परिवर्तन के दौरान अवशोषित या उत्सर्जित ऊष्मा है, बिना तापमान परिवर्तन के।
-
संलयन की गुप्त ऊष्मा (Lf): 1 kg पदार्थ को पिघलाने के लिए आवश्यक ऊष्मा।
-
वाष्पन की गुप्त ऊष्मा (Lv): 1 kg पदार्थ को वाष्पित करने के लिए आवश्यक ऊष्मा।
$$ Q = m \cdot L $$
- जहाँ:
- $ Q $ जोड़ी गई ऊष्मा है (J)
- $ m $ द्रव्यमान है (kg)
- $ L $ गुप्त ऊष्मा है (J/kg)
4.3 कैलोरीमिति
- कैलोरीमिति का सिद्धांत यह है कि एक वस्तु द्वारा खोई गई ऊष्मा दूसरी वस्तु द्वारा प्राप्त ऊष्मा के बराबर होती है।
$$ Q_{\text{खोई}} = Q_{\text{प्राप्त}} $$
उदाहरण: एक गर्म धातु की वस्तु को पानी में रखा जाता है। धातु द्वारा खोई गई ऊष्मा पानी द्वारा प्राप्त ऊष्मा के बराबर होती है।
5. ऊष्मागतिकी
5.1 ऊष्मागतिकी के नियम
- ऊष्मागतिकी का शून्यवाँ नियम: यदि दो निकाय किसी तीसरे के साथ तापीय साम्य में हैं, तो वे आपस में भी तापीय साम्य में होते हैं।
- ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम (ऊर्जा संरक्षण): किसी निकाय की आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन जोड़ी गई ऊष्मा में से किए गए कार्य के बराबर होता है।
$$ \Delta U = Q - W $$
- ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम: ऊष्मा स्वतः ठंडे पिंड से गर्म पिंड की ओर प्रवाहित नहीं हो सकती। एक विलगित निकाय की एन्ट्रॉपी हमेशा बढ़ती है।
- ऊष्मागतिकी का तृतीय नियम: जब तापमान परम शून्य के निकट पहुँचता है, तो एक आदर्श क्रिस्टल की एन्ट्रॉपी एक न्यूनतम स्थिरांक के निकट पहुँच जाती है।
5.2 ऊष्मा इंजन और दक्षता
- एक ऊष्मा इंजन ऊष्मा को कार्य में परिवर्तित करता है।
- ऊष्मा इंजन की दक्षता (η) निम्न प्रकार दी जाती है:
$$ \eta = \frac{W}{Q_h} = 1 - \frac{Q_c}{Q_h} $$
- जहाँ:
- $ W $ कार्य निर्गत है (J)
- $ Q_h $ गर्म स्रोत से प्राप्त ऊष्मा निवेश है (J)
- $ Q_c $ ठंडे स्रोत को निष्कासित ऊष्मा है (J)
नोट: अधिकतम दक्षता कार्नोट इंजन द्वारा प्राप्त की जाती है।
6. सारांश
| विषय | मुख्य अवधारणा |
|---|---|
| ऊष्मा | तापमान अंतर के कारण स्थानांतरित ऊर्जा का रूप |
| तापीय विस्तार | तापमान के साथ पदार्थों के आयामों में परिवर्तन |
| ऊष्मा स्थानांतरण | चालन, संवहन और विकिरण |
| विशिष्ट ऊष्मा | तापमान परिवर्तन के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा |
| गुप्त ऊष्मा | अवस्था परिवर्तन के दौरान ऊष्मा |
| ऊष्मागतिकी | ऊर्जा और ऊष्मा स्थानांतरण को नियंत्रित करने वाले नियम |
| दक्षता | ऊष्मा निवेश के लिए कार्य निर्गत का अनुपात |
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