ऑक्सीजन-युक्त-कार्बनिक-यौगिक-भाग-2
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अध्ययन नोट्स: ऑक्सीजन युक्त कार्बनिक यौगिक
विषय सूची
-
फेनॉल
- परिचय
- भौतिक गुण
- रासायनिक गुण
- अभिक्रियाएँ
- अनुप्रयोग
-
ईथर
- परिचय
- भौतिक गुण
- रासायनिक गुण
- अभिक्रियाएँ
- अनुप्रयोग
-
सारांश
1. फेनॉल
परिचय
फेनॉल एक सुगंधित हाइड्रॉक्सिल यौगिक है जिसका आणविक सूत्र C₆H₅OH होता है। यह एक सफ़ेद, क्रिस्टलीय ठोस होता है जिसमें एक विशिष्ट गंध होती है।
परिभाषा: फेनॉल एक कार्बनिक यौगिक है जिसका सूत्र C₆H₅OH होता है, जिसमें बेंजीन रिंग से जुड़ा एक हाइड्रॉक्सिल समूह होता है।
भौतिक गुण
| गुण | विवरण |
|---|---|
| रंग | सफ़ेद |
| अवस्था | क्रिस्टलीय ठोस |
| गलनांक | 111°C |
| क्वथनांक | 182°C |
| घुलनशीलता | पानी और कार्बनिक विलायकों में घुलनशील |
नोट: फेनॉल पानी में थोड़ा घुलनशील होता है लेकिन कार्बनिक विलायकों में अत्यधिक घुलनशील होता है।
रासायनिक गुण
- कमजोर अम्ल: फेनॉल एक कमजोर अम्ल होता है क्योंकि इसके संयुग्मी क्षार (फेनॉक्साइड आयन) को अनुनाद स्थिरीकरण प्राप्त होता है।
- प्रबल अपचायक: यह कुछ अभिक्रियाओं में अपचायक का कार्य कर सकता है।
- सक्रियता: यह विद्युतरागी प्रतिस्थापन, ऑक्सीकरण और नाभिकरागी प्रतिस्थापन जैसी विभिन्न रासायनिक अभिक्रियाएँ करता है।
महत्वपूर्ण परिभाषा: कमजोर अम्ल एक ऐसा पदार्थ है जो पानी में आंशिक रूप से विघटित होकर हाइड्रोजन आयनों की छोटी मात्रा मुक्त करता है।
अभिक्रियाएँ
- विद्युतरागी प्रतिस्थापन: फेनॉल ऑर्थो और पैरा स्थितियों पर विद्युतरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ करता है क्योंकि हाइड्रॉक्सिल समूह का सक्रियक प्रभाव होता है।
- ऑक्सीकरण: फेनॉल को क्विनोन या अन्य सुगंधित उत्पादों में ऑक्सीकृत किया जा सकता है।
- नाभिकरागी प्रतिस्थापन: कुछ विशेष स्थितियों में हाइड्रॉक्सिल समूह को अन्य नाभिकरागी द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकता है।
उदाहरण: फेनॉल ब्रोमीन जल के साथ अभिक्रिया करके 2,4,6-ट्राइब्रोमोफेनॉल बनाता है।
अनुप्रयोग
- कीटाणुनाशक और एंटीसेप्टिक के रूप में उपयोग किया जाता है
- प्लास्टिक, रेजिन और रंगों के उत्पादन में उपयोग किया जाता है
- फार्मास्युटिकल्स और औद्योगिक रसायनों के निर्माण में उपयोग किया जाता है
2. ईथर
परिचय
ईथर कार्बनिक यौगिक होते हैं जिनमें एक ऑक्सीजन परमाणु दो ऐल्काइल या ऐरिल समूहों से जुड़ा होता है। इनका सामान्य सूत्र R–O–R’ होता है।
परिभाषा: ईथर एक कार्बनिक यौगिक है जिसमें एक ऑक्सीजन परमाणु दो ऐल्काइल या ऐरिल समूहों से जुड़ा होता है।
भौतिक गुण
| गुण | विवरण |
|---|---|
| रंग | रंगहीन |
| अवस्था | अतिवाष्पशील द्रव |
| क्वथनांक | कम (आमतौर पर 150°C से नीचे) |
| घनत्व | पानी से कम |
| घुलनशीलता | पानी में अघुलनशील, कार्बनिक विलायकों में घुलनशील |
नोट: ईथर के क्वथनांक कम होते हैं और सामान्यतः पानी से कम घने होते हैं।
रासायनिक गुण
- अक्रिय: ईथर अपेक्षाकृत अक्रिय होते हैं लेकिन विशिष्ट परिस्थितियों में विभिन्न अभिक्रियाएँ कर सकते हैं।
- अभिक्रियाएँ:
- क्लीवेज अभिक्रियाएँ: प्रबल अम्ल या क्षार के साथ।
- ऑक्सीकरण: वायु के संपर्क में आने पर पेरोक्साइड बना सकते हैं।
- प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ: नाभिकरागी के साथ अभिक्रिया कर सकते हैं।
महत्वपूर्ण परिभाषा: क्लीवेज अभिक्रिया दो परमाणुओं या समूहों के बीच के बंधन के टूटने को कहते हैं, जो अक्सर उत्प्रेरक या अभिकर्मक की उपस्थिति में होता है।
अभिक्रियाएँ
- अम्ल/क्षार के साथ क्लीवेज: ईथर अम्लीय या क्षारीय स्थितियों में क्लीवेज अभिक्रिया करके ऐल्कोहॉल और अन्य उत्पाद बना सकते हैं।
- पेरोक्साइड में ऑक्सीकरण: वायु के संपर्क में आने पर ईथर पेरोक्साइड बना सकते हैं, जो कुछ परिस्थितियों में विस्फोटक हो सकते हैं।
- नाभिकरागी प्रतिस्थापन: ईथर नाभिकरागी के साथ अभिक्रिया करके नए यौगिक बना सकते हैं।
उदाहरण: एथिल ईथर अम्लीय स्थितियों में क्लीवेज होकर एथेनॉल और अन्य ऐल्कोहॉल बना सकता है।
अनुप्रयोग
- एनेस्थेटिक के रूप में उपयोग (जैसे डाइथाइल ईथर)
- विभिन्न उद्योगों में विलायक के रूप में उपयोग
- दहन दक्षता बढ़ाने के लिए ईंधन योजक के रूप में उपयोग
3. सारांश
- फेनॉल एक कमजोर अम्ल और प्रबल अपचायक होता है। इसका उपयोग फार्मास्युटिकल्स और औद्योगिक अनुप्रयोगों में होता है।
- ईथर अपेक्षाकृत अक्रिय होते हैं लेकिन क्लीवेज, ऑक्सीकरण और प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ कर सकते हैं। इनका उपयोग विलायक, एनेस्थेटिक्स और ईंधन योजक के रूप में होता है।
- भौतिक गुण:
- फेनॉल: पानी और कार्बनिक विलायकों में घुलनशील, उच्च गलनांक और क्वथनांक।
- ईथर: पानी में अघुलनशील, कम क्वथनांक और कम घनत्व।
- रासायनिक सक्रियता:
- फेनॉल विद्युतरागी प्रतिस्थापन और ऑक्सीकरण करता है।
- ईथर क्लीवेज, ऑक्सीकरण और नाभिकरागी प्रतिस्थापन करते हैं।
निष्कर्ष
फेनॉल और ईथर महत्वपूर्ण कार्बनिक यौगिक हैं जिनके विशिष्ट भौतिक और रासायनिक गुण होते हैं। फेनॉल एक कमजोर अम्ल और प्रबल अपचायक होता है, जबकि ईथर अपेक्षाकृत अक्रिय होते हैं लेकिन विभिन्न अभिक्रियाएँ कर सकते हैं। दोनों का उद्योग, चिकित्सा और शोध में महत्वपूर्ण अनुप्रयोग होता है।
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